कुछ कहती है हार्ट लाइन
हथेली की सबसे खास रेखा
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एस.डी. पाठक जी हाँ, हमारी हथेली में हृदय रेखा का अपना विशिष्ट स्थान है, जिससे हृदय रेखा को देखा-जाना जा सकता है। यह रेखा अधिकांश विवाह रेखा यानी सबसे छोटी अँगुली के लगभग एक इंच नीचे से निकल कर किसी क्षेत्र पर जा सकती है व किन्हीं भी रेखाओं से इनका संबंध हो सकता है। इसकी समाप्ति स्थान मुख्यतः गुरु पर्वत यानी तर्जनी अँगुली के नीचे होता है, लेकिन कभी-कभी इसका अंत शनि पर्वत या सूर्य पर्वत पर ही हो जाता है। किसी-किसी के हाथ में ये रेखा होती ही नहीं और किसी-किसी की हथेली में इस रेखा का मिलन मस्तिष्क रेखा पर होता है। तो आइए जानते हैं क्या कहती है हमारी हार्ट लाइन : --
हृदय रेखा यदि शनि पर्वत पर मुड़ जाए तो ऐसा जातक या तो बहुत निर्दयी होगा या बहुत ही दयावान-परोपकारी हो सकता है, क्योंकि शनि मोक्ष का भी कारक है।-
हृदय रेखा का मिलाप यदि मस्तक रेखा से हो जाए तो ऐसा व्यक्ति सिर्फ अपने मन की ही करता है, दूसरों की बातों पर ध्यान नहीं देता। -
हृदय रेखा का न होना उस जातक को कठोर बना देता है। उसके मन में दया का भाव ही नहीं होता।-
हृदय रेखा जंजीर के समान हो तो वह व्यक्ति कपटी होता है, मन की बात किसी को भी नहीं बताता।-
हृदय रेखा पर काला तिल होना उस जातक के लिए अनिष्ठकारी होता है। ऐसा जातक निश्चित ही कलंकित होता है।-
हृदय रेखा पर द्वीप का चिह्न होना ही उसे बार-बार धोखे दिलाता है। -
हृदय रेखा पर वृत्त का चिह्न हो तो उसका मन अत्याधिक कमजोर होगा।-
हृदय रेखा के मध्य गुच्छा जैसे कोई चिह्न दिखाई दे तो वह जातक घमंडी होता है।-
बहुत पतली हृदय रेखा या बहुत गहरी लाल रंग की हो तो वह जातक दुर्भाग्यशाली व कठोर होगा।-
गुरु पर्वत के नीच पहुँचकर कई शाखाएँ हो तो वह जातक शक्ति संपन्न व भाग्यशाली होगा।-
सामान्य से अधिक चौड़ी रेखा हो तो वायु विकार से ग्रस्त रहता है व उच्च रक्तचाप भी होता है।-
शुक्र पर्वत से निकल कर कोई रेखा हृदय रेखा से जा मिले तो वह जातक अत्याधिक भोगी होगा।-
चंद्र पर्वत से निकल कर हृदय रेखा पर जा पहुँचे तो उस जातक को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ होता है। -
हृदय रेखा अपने उद्गम स्थान से निकल कर गुरु पर्वत तक जा पहुँचे तो ऐसा जातक धार्मिक, न्यायाधीश, प्रोफेसर, धर्म का ज्ञाता, पुजारी, राजनेता होकर सदैव प्रसन्न रहने वाला होगा। हाँ यह स्पष्ट व कहीं से भी कटी या जंजीरदार नहीं होना चाहिए।-
यदि हृदय रेखा का कहीं से कटा होना, फिर आगे बढ़ना उस जातक को हृदय से संबंधित विकार या अन्य कष्ट जैसे प्रेम में आघात लगना, झेलने पड़ते हैं।